जिस पेड़ पर फल होते हैं लोग उसी पर पत्थर मारते हैं। बबूल के पेड़ को
कोई पत्थर नहीं मारता। बापूजी एक फलदार वृक्ष हैं जिनके विश्व भर में आज करोड़ों
साधक हैं। उनकी प्रेरणा से आज लाखों-करोड़ों लोग व्यसनमुक्त, सुसंस्कारित हुए हैं,
लाखों धर्मांतरीत
लोगों ने सनातन हिन्दू धर्म में धर्म-वापसी की है बस यही बात कुछ राज्यकर्ताओं और ईसाई मिशनरियों को बिच्छू के दंश
सी चुभने
लगी ।
बापूजी
धर्मांतरणवालों के लिए भारी रुकावट हैं इसलिए वे लोग सत्ता की सहायता से बापूजी और
हिन्दू संतों को हर प्रकार से झूठे इल्जामों में फँसा रहे हैं।
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