कुछ सेकुलरिज्म
रूपी एड्स से ग्रसित हिन्दुवों के मानसिक दिवालेपन की कल्पना आप इसे बात से लगा
सकते ही के वे बिना सत्य को जाने मीडिया की बातों में आ अपने ही माननीय संतो के
प्रति अपशब्दों का प्रयोग करते है या उन्हें भला बुरा कहते फिरते है !!
इस
दुनिया में 99% मुल्ला चीख चीख कर कहता है कि - वो सेकुलर नाम का कोढ़ी नहीं है ।
और उसका इस्लाम सबसे महान है । इसी दुनिया के 99% ईसाई डंके की चोट पर कहने को
तैयार हैं कि - वो सेकुलर नहीं हैं । और ईसाई ही दुनिया के राजा हैं । पर उसी
दुनिया में 99% हिन्दू ये कहते हैं कि - वो सेकुलर हैं । और सब धर्म समान हैं ।
वाह रे हिन्दू ।
हमारी संस्कृति
हमारी महान परंपरा का यथार्थ ज्ञान ना
होना हमारी रगों में हिंदुत्व का अभिमान ना होना ही हम हिंदुवों के पतन का मुख्य कारण
रहा है...
अगर सेक्युलर होने
का मतलब हिन्दू विरोध है तो मै सेक्युलर नहीं हूँ.
अगर सेक्युलर होने का मतलब किसी धर्म विशेष का तुष्टीकरण हैं तो मै सेक्युलर नहीं हूँ.
अगर सेक्युलर होने का मतलब किसी धर्म विशेष का तुष्टीकरण हैं तो मै सेक्युलर नहीं हूँ.
किसी भी संत-महात्मा या हमारी सांस्कृतिक परंपरा के बारे में हलकी प्रतिक्रिया देने में कभी जल्दबाजी न करे...! मीडिया का चश्मा उतार उसके पीछे के सत्य को स्व-विवेक से जानने का प्रयत्न करे
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