पहला संत आशाराम जी बापू के सस्ते
स्वदेशी उत्पादों की
बडती मांग से बौखलाई बहुराष्ट्रीय कंपनियां दूसरा बापूजी के द्वारा गरीब अंचलों में चलाये जा रही “भजन करो भोजन पाओ और साथ में दक्षिणा भी “ जैसी योजनाओ से चौपट
होता ईसाई मिशनरीयों का धंधा
प्रत्येक व्यक्तिको इस बातका विचार करना चाहिए कि जिस संत का संपूर्ण जीवन मानवता की सेवा में रत रहा है क्या वह ऐसा घृणित कार्य कर सकते है ?
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