संत आशारामजी बापू ने सन 2004 में कहा था …
“मेरे लिए लोग क्या क्या षड्यंत्र-कुप्रचार कर रहे हैं मुझे सब पता है । लेकिन मैं यह सब सहता हुआ भी संस्कृति के लिए काम किये जा रहा हूँ ।
मैं अपनी संस्कृति के लिए कुर्बान हो जाउँगा, शूली चढ़ जाउँगा लेकिन हिन्दु धर्म की सेवा मैं नहीं छोड़ता ।
“अगर पोप जैसी किसी हस्ती को आज कुछ होता तो क्या इतने दिन तक वे चुप्पी साधे बैठे होते क्या ? हिन्दु सहिष्णु हैं, उदार हैं, तितिक्षु हैं, लेकिन कायर नहीं ।“
स्वामी विवेकानंदजी ने कहा कि – धरती से हिन्दु धर्म गया तो सत्य भी गया, शांति-उदारता-सहानुभूति-सज्जनता गयी ।
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