लँगड़ा
कौआ मत बनो, शाहबाज
बनो। केवल अपने लिए नहीं, धर्म ,राष्ट्र और संतो के लोक-मंगलकारी संकल्पपूर्ति के लिये जियो ।
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हजार वर्ष से आलस्य एवं भोगरूपी निद्रा में सोये हुए भारत माता के होनहार युवको !
बहुत सो चुके हो, अब तो जागो। अत्याचार, पाप, अनैतिकता और भ्रष्टाचार बढ़ रहे हैं। बहनों
का सतीत्व लूटा जा रहा है। देश में नैतिकता और आध्यात्मिकता का ह्रास होता जा रहा
है। अब उठो, तुम्हारी
भारत माता तुम्हारे सिरहाने के पास आकर तुम्हें जगा रही है।
जब
तक पूरा न कार्य हो, उत्साह से करते रहो । पीछे न हटिये एक तिल, आगे सदा बढ़ते रहो ।।
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