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Wednesday 12 February 2014

पूज्य बापूजी निर्दोष है (Pujya Asaram Bapuji Is Innocent ) – 53



समाज को गुमराह करने वाले संतद्रोही लोग संतों का ओज, प्रभाव, यश देखकर अकारण जलते पचते रहते हैं क्योंकि उनका स्वभाव ही ऐसा है। जिन्होंने संतों को सुधारने का ठेका ले रखा है उनके जीवन की गहराई में देखोगे तो कितनी दुष्टता भरी हुई है!अन्यथा सुकरात, जीसस, ज्ञानेश्वर, रामकृष्ण, रमण महर्षि, नानक और कबीर जैसे संतों को कलंकित करने का पाप ही वे क्यों मोल लेते

ऐसे लोग उस समय में ही थे ऐसी बात नहीं, आज भी ऐसे नराधमों की काफी बहुलता है ।

हरि गुरु निन्दक दादुर (मेंढक) होई।
जन्म सहस्र पाव तन सोई ।।

ऐसे दुष्ट दुर्जनों को हजारों जन्म मेंढक की योनि में लेने पड़ते हैं।


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