किसीने
ठीक ही लिखा है कि हिन्दू तो वह बूढ़े काका का खेत है, जिसे जो चाहे जब जोत जाय । उदार,
सहिष्णु और क्षमाशील इस वर्ग के साथ
वर्षों से बूढ़े काका के खेत की तरह बर्ताव हो रहा है ।
महापुरुषों
को बदनाम करने का षड्यंत्र करने वालों संत तो स्वभाव से ही क्षमाशील होते हैं
लेकिन तुम कुदरत के डंडे से कैसे बचोगे ?
हिंदू
संघठनो में एकता का आभाव का परिणाम पूरा हिंदू समाज भुगत रहा है |
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